Friday, September 4, 2009

Science Search for Tomorrow

आधुनिक विज्ञान और टैक्नालौजी के विस्मयकारी अन्वेषण और आविष्कार मनुष्य के परिवेष को लगभग सम्पूर्णता से बदल रहे हैं। मनुष्य और मशीन की सीमा रेखाऐं समाप्त होती प्रतीत हो रही हैं। बुद्धिमान मशीनों का युग आरम्भ हो चुका है। कृत्रिम बुद्धि और मस्तिष्क संरचना, रोबोटिक्स, साइबोर्ग, कम्प्यूटर, वर्चुअल रीअलिटी, इन्टरनेट, नैनोटेक्नोलौजी, क्लोनिंग, जैनैटिक इंजीनियरिंग, जीनोम आदि मनुष्य के भविष्य की एक विशिष्ट य़ात्रा का संकेत प्रदान कर रहे हैं।
विज्ञान की इन उपलब्धियों के पीछे कौन सा प्रेरक बल है? क्या किसी पैगम्बर की वाणी इन उपलब्धियों के मूल में है? अथवा कुछ और है क्या?
आधुनिक विज्ञान का मूल उद्देश्य प्रकृति के रहस्यों को सम्पूर्णता से समझना है। विज्ञान की प्रगति सब ओर ज्ञात है। विज्ञान के सूत्रों का उपयोग करके टेक्नोलोजी लोक जीवन यापन की प्रगति के द्वार खोलती है। यह सम्भव हो सका है, वस्तुनिष्ठता और सूक्ष्मता के द्वारा। विज्ञान के विभागों की सीमाऐं हैं। जबतक वैज्ञानिक इन सीमाओं को नहीं लाँघे थे तब तक विज्ञान की प्रगति की गति तीव्र नहीं थी। अब, जब विभिन्न विभाग एक दूसरे की सीमाऐं लाँघने लगे तो समस्त प्रकार के विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों की प्रगति में अभूतपूर्व गति आयी। वैज्ञानिकों को अब अपने पग और आगे बढाने के लिए नवीन आधार की आवश्यकता है। इसके लिए आज का विज्ञानी भारतीय मूल चिन्तन की ओर प्रवृत्त हुआ प्रतीत होता है।
क्या प्राचीन भारतीय विज्ञान का इसमें कोई योगदान है? आइए, इस दिशा में कुछ सार्थक प्रय़ास करें और उत्तर खोजें।

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